Wednesday, August 15, 2012

Mere Desh se achcha aur koi Desh Kahan.....

ये जो मैं लिख रहा हूँ, वो उन सब भारतियों क लिए है जो अपने देश को शायद भूलते जा रहे हैं और या फिर इस देश में रहना उनकी मात्र मज़बूरी ही है। मैं ये नहीं कहता के आप सब इस देश से प्यार नहीं करते, क्योंकि जो नहीं करते वो ये पूरा पढ़ भी ना पाएंगे। जो गलत है उसे रोकने की कोशिश करें बस यही विनती आप से करता हूँ।

लेके भगत सिंह और चंद्रशेखर आज़ाद का नाम पहले
मैं अपना पहलु पेश करता हूँ,
हूँ मैं भारतवासी और इस हक से
ऐसे शहीद वीरों को करोड़ों नमन करता हूँ।

है आज आज़ादी का दिन,
             पर हिंदुस्तान तो आज भी कैदी है।
भुगत रहा है ये देश भ्रष्टाचार को,
             जिसे उसके लोगों ने खुद शय दी है।
मुसीबतों से जूझते रहने के बाद भी,
             सब कहते हैं 'मैं मस्त हूँ यहाँ'।
और कहते दिल इनके मज़बूरी में,
             मेरे भारत से अच्छा और कोई देश कहाँ।


लाख बुराई गिनते हैं सब,
             जब थक के शाम हो जाती है।
देख के मंत्रियों क घोटाले फिर,
             दिल से आह.... निकल जाती है।

कोई खुश है अपने परिवार में,
             तो कोई अकेला तन्हाईयों में ही खुश है वहां।

बस सोचते ये के सबसे प्यारे लोग हैं ये अपने मेरे,
             और मेरे देश से अच्छा और कोई देश कहाँ।


कोई करता झगडे जात-पात के नाम पे,
             तो किसी का मुद्दा छूत-अछूत होता है।
21वी सदी है आ चुकी अब,
             फिर भी आवाम यहाँ पुराने ज़माने में सोता है।
पेट भरने की बस चाहत है इन्हें,
             देश के पिछड़ने का नहीं है इनको गुमां।
गरीबी से मरे लोग चाहे पर, अमीर बोले,
             मेरे देश से अच्छा और ......... कहाँ।

पिछड़ों को आगे करने की नजाने कैसी मज़बूरी है,
             तभी दुसरे मुद्राओं से 'रुपय' की तबियत में बहुत कमजोरी है।
काबिल फिरे रोड में इस वजह से,
             और साकार करने के बजाये सरकार सिर्फ ये कहे 'बेरोज़गारी हटाना ज़रूरी है'।
कुर्सी के झगड़ों में सिमटा हुआ,
             शैतानों से है ये देश सना।
90% निकले पापी और फिर भी,
             मेरे देश से अच्छा ...............कहाँ।

2g घोटाले और कहीं मोबाइल नेटवर्क के पंगे,
             जगह जगह आये दिन दंगे, हैं ले जा रहे हमें किस ओर।
मुट्ठी भर खिलाडी हैं इस प्रतिभा के समुन्दर में,
             क्यूँ बढ़ावे (awareness) का नहीं है यहाँ दौर।
बेईमानी का चोगा ओढे,
             क्यूँ जी रहा है ये अपना जहाँ।
सरकारें हैं लूटती आखिर हद तक,आम आदमी हो जाता है कुर्बान,
             फिर भी कहते हैं मेरे देश से अच्छा............कहाँ।

आओ यारों चलो कुछ ठाने,
             फिर से बना दे इस देश को जवान।
थोडा खुद को फना कर इस देश पर,
             आओ हटायें ये बेहूदगी का कला धुवां।
हस के फिर सुबह होगी, और हस्ते ढलेगी शाम,
             सोच के देखो, कितना सुनेहरा होगा वो समां।
फिर कहेंगे गर्व से, है ये मेरा वतन, नाम इसका 'हिन्दुस्तान',
             और मेरे देश से अच्छा और कोई देश कहाँ........
                                                                    
और कोई देश कहाँ........।

A very Happy Independence Day to u all. May all Indians feel proud to be an Indian by helping our nation in growth in any field except Unemployment & Corruption.......

         Thank U All for reading.
            Neeraj Shrivastava.

5 comments:

  1. kehte to sub hain per hhkarta koi nahi aao hum hath milain her burai mitain

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  2. Good Yaar!!!
    U hav expressed views of many Indians in ur own way....
    Keep it up!!!buddy

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  3. The most powerful weapon was considered to be "a pen" just a pen but it was just a way through which one can express his/her feelings, i think word has the power which can do things better and better and that power i saw in your words... you have made shrink all the happenings in India in your poem.... mind blowing.....

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