This one is very special for me, because these poems consists that feel of pain, which I felt when I got hurt by the Evil World. Then the +vity inside me told me, that, this is not the end, You are not made to be broken, Come-On, Stand again & move....
Then I also written these following lines-
For the moment, when I stood & people laughed, I felt ashamed,
However, this time with Many, But, I Fell again.
Lost Hope & Control for moment,when I saw people Laughing
But Can't tell those Safe-Suit people,that I LiVED Da PaIN.....
Enjoy this Poem.......
एक छोटी सी आंस,
एक बड़ी सी प्यास,
कभी जैसे मीठी सी पप्पी,
तो कभी जादू की झप्पी।
देदे ये मुसीबत को भी झांसा,
कुछ ऐसी है इसकी परिभाषा,
है ये दिलासा, एक छोटी सी आशा।
कड़ाके की ठण्ड पड़ी हो,
और कोई ओढ़ाय कम्बल जैसे,
मानो के कोई ख़राब प्लेन हो,
जो कर जाए लैंडिंग जैसे तैसे।
गुदगुदा कर हंसा जाए,
टच है वैसा मस्ती भरा सा,
है ये दिलासा, एक छोटी सी आशा।
कभी माँ के गोद सा है ये एहसास,
तो कभी पिता के जोश दिलाने का है ये अंदाज़,
सचिन जैसे करे बाउंड्री पार,
वैसी ही कुछ है इसकी धार।
स्वाद भी कुछ ऐसा,
के मीठे को चखा हो ज़रा सा,
है ये दिलासा, एक छोटी सी आशा।
कभी कार्टून सा हंसती,
तो कभी लोरी सी सुलाती,
क़दमों को भी बढ़वाती,
और जीत के पास ले जाती।
आँखों, कानों,होंठों, की नहीं,
ये रुहानियत की है भाषा,
है ये दिलासा, एक छोटी सी आशा।
झम्म झम्म सी बारिश में,
जैसे कोई छत दिख जाए,
कभी घनघोर अंधेरे में जैसे,
कोई मोमबत्ती की रौशनी दिखाये।
हर दिल के दर्द हलके कर दे,
नजाने मलहम है ये किस तरह का,
है ये दिलासा, एक छोटी सी आशा।
Then I also written these following lines-
For the moment, when I stood & people laughed, I felt ashamed,
However, this time with Many, But, I Fell again.
Lost Hope & Control for moment,when I saw people Laughing
But Can't tell those Safe-Suit people,that I LiVED Da PaIN.....
Enjoy this Poem.......
एक छोटी सी आंस,
एक बड़ी सी प्यास,
कभी जैसे मीठी सी पप्पी,
तो कभी जादू की झप्पी।
देदे ये मुसीबत को भी झांसा,
कुछ ऐसी है इसकी परिभाषा,
है ये दिलासा, एक छोटी सी आशा।
कड़ाके की ठण्ड पड़ी हो,
और कोई ओढ़ाय कम्बल जैसे,
मानो के कोई ख़राब प्लेन हो,
जो कर जाए लैंडिंग जैसे तैसे।
गुदगुदा कर हंसा जाए,
टच है वैसा मस्ती भरा सा,
है ये दिलासा, एक छोटी सी आशा।
कभी माँ के गोद सा है ये एहसास,
तो कभी पिता के जोश दिलाने का है ये अंदाज़,
सचिन जैसे करे बाउंड्री पार,
वैसी ही कुछ है इसकी धार।
स्वाद भी कुछ ऐसा,
के मीठे को चखा हो ज़रा सा,
है ये दिलासा, एक छोटी सी आशा।
कभी कार्टून सा हंसती,
तो कभी लोरी सी सुलाती,
क़दमों को भी बढ़वाती,
और जीत के पास ले जाती।
आँखों, कानों,होंठों, की नहीं,
ये रुहानियत की है भाषा,
है ये दिलासा, एक छोटी सी आशा।
झम्म झम्म सी बारिश में,
जैसे कोई छत दिख जाए,
कभी घनघोर अंधेरे में जैसे,
कोई मोमबत्ती की रौशनी दिखाये।
हर दिल के दर्द हलके कर दे,
नजाने मलहम है ये किस तरह का,
है ये दिलासा, एक छोटी सी आशा।