Saturday, November 26, 2016

Tu Jaa Rahi Hai Kal Chhod Humein......

HELLO FRIENDS, IT WAS REALLY A VERY LONG TIME I'M PUBLISHING SOMETHING, HOPE THIS WOULD MAKE A WAY TO YOUR HEART. THIS IS A SPECIAL ONE FOR ME, BECAUSE I'M WRITING THIS FOR MY COUSIN SISTER & I BELIEVE THAT EVERY BROTHER & FAMILY MEMBERS HAVE THIS TYPE OF FEELING WHEN THEIR SISTER/DAUGHTER GOING TO GET MARRIED & LEAVE THE HOUSE TO START A NEW JOURNEY. A SMALL EFFORT FROM MY SIDE,HOPE YOU ALL FEEL THE SAME(MAY BE LITTLE MORE).



वह तेरा बिन मतलब का हँसना,
            जब देखो सेल्फियां खींचते रहना,
याद बहुत आएगा हमें,
            तेरा ये रंग प्यारा।
तू जा रही है कल छोड़ हमें,
            खाली खाली लगेगा अब ये घर सारा।।


तेरे हँसने से रोशन है जग सारा,
            तेरी मौजूदगी में महके ये समां सारा

तेरे रूठने से लगे बुरा,
            तू रोये तो मेरे भी आएं आंसू,

तू चाँद है,तू ही जगमगाता सितारा,
तू जा रही है कल छोड़ हमें,
            खाली खाली लगेगा अब ये घर सारा।।


तेरी शैतानियां हमें याद आएँगी,
            बन के मुस्कुराहट हमारे होंठ लग जाएँगी,
तेरा जगह अब सूना सूना लगेगा,
            जब जब ये कदम तेरे कमरे की ओर बढ़ेगा।
अब ज़्यादा फ़ोन में ही बातें हुआ करेंगी तुझसे,
            कब आएगा काम ये इन्टरनेट हमारा,
तू जा रही है कल छोड़ हमें,
            खाली खाली लगेगा अब ये घर सारा।।


जैसे इस घर को पुष्प सी खुशबू तरह तूने खुद से महकाया है,
          हर सुबह अपनी खिलखिलाती हँसी से इस घर को चहकाया है,
अपने नए घर को भी अब इस तरह संजोना तुम,
            तुझपे है गर्व हमें, तुझसे है विश्वास हमारा।
तू जा रही है कल छोड़ हमें,
            खाली खाली लगेगा अब ये घर सारा।।


(THIS FOLLOWING LINES FOR GROOM SIDE, THE LADKA WALAS)

एक माँ की परछांई मानते हैं बिटिया को,
            पिता की जान मानते हैं बिटिया को।
इस घर की प्यारी बेटी है ये,
            हमनें प्यार-संस्कार से इसे संवारा है,
अब तक सिर्फ हम थे,
            आज से आप भी इसका सहारा हैं।
बीता ये जो लंबा वक़्त है,
            इसका हर मौसम था बड़ा प्यार,
तू जा रही है कल छोड़ हमें,
            खाली खाली लगेगा अब ये घर सारा।।

Thursday, June 25, 2015

Tum Jo Aaye Mere Jeevan Mein Toh..........

Hello Everyone, I came back to writing after a long sabbatical, and I was writing as usual in my Diary but didn't got time to publish all of that(Really can't do it). However, I wanted to share this one for those people who fall deeply in love which each other, and continues their life together, forever.
This Poem expresses the emotions of a Boy. The Boy who loved the Girl one-sidedly, and when the Girl accepts him, this is how the boy expresses his feelings to her.
Hope you all like it.




चाहता था के यूँ दिल के मकान में मेरे तुम आते,
                        तो बाहें फैला कर मैं तुमसे लिपट जाता।
जो मुस्कुरा कर तुम मेरे दर्दे-दवा बनते,
                        तो कसम से सनम, यह रूह भी तेरा हो जाता।।
अब जो मिले हो तुम; तो ख़्वाबों की चाहत असलियत बन गई है,
                        लगे यूँ, आशिकी मिलगई है, दिलनशीं हो गई है।
तुम जो आये मेरे जीवन में तो,
                        ऐसा लगा के रौशनी सी छा गई है।।


अब दिल को मेरे हर मौसम कुछ ख़ास सा लगता है,

                         तुझसे जब-जब दूर होता हुँ, तब भी दिल को तेरा आभास सा लगता है।
कट जाती हैं रातें कई, बस करवटें बदलते तेरी याद में,
                         पर जब मिलता हुँ तुझसे तो सब ख्वाब सा लगता है।।
जाने कैसा यह जादू तू मुझपे चला गयी है,
                         ज़माने से बेगाना और खुद का दीवाना बना गयी है।
तुम आये जो मेरे जीवन में तो,
                         ऐसा लगा की रौशनी सी छा गई है।।


ना-जानु मैं के कब तक का है ये तेरा मेरा साथ,

                         सिर्फ इस पल तक का या, है ये सौ जन्मों की बात।
बस एक बेताबी सी छायी रहती है,
                         जब तुझसे बात नहीं कुछ होती है।
तब तेरी तस्वीर को ताँका करता हूँ,
                          फिर दिल के पास छुपाया करता हूँ।।

क्या तुमको भी मेरी याद सताया करती है,

                          कभी मेरी खामोश सी सांसें, क्या तुम्हें पुकारा करती हैं।
जो होता हो ऐसा, तो घबरा न जाया करना तुम,
                          मेरी तस्वीर से भी अपने दिल की बात कराया करना तुम।।
अब मुझे तो मेरी बचपन की मन्नत मिलती नज़र आ गई है,
                          परी बन कर मेरी ज़िन्दगी में, मुझे मोहब्बत करा गई है।
तुम आये हो जीवन में यूँ,
                          तो लगे खुशियाँ आ गई है,
                          और रौशनी सी छा गई है।।


अब जो मेरे दिल के मकान में तुम आ ही गये हो,

                          बाहों में मेरे जो युं समां ही गये हो।
मुस्कुरा कर बस मेरा हर दर्द धुआं करते हो,
                          मुझसे मिल कर दो जिस्म एक जान बनाया करते हो।।
अब ये असलियत भी मुझे ख्वाब सी लग रही है,
                          आशिकी मिल गयी है, दिलनशीं हो गई।
तुम आये हो जबसे जीवन में मेरे तो,
                          लगे है यूँ, खुशियाँ आ गई हैं,
                          और रौशनी सी छा गई है।।

Sunday, March 30, 2014

Likhta Hun Unko To......

Hello Everyone....I was out of writing for the past 4 months as I was more busy with my Job, & I'm loving it. However, I've taken out sometime & wrote some lines on the Person who is waiting & wanting to meet his Dream girl(which everybody dreams to), who is just a Beautiful Virtual Image in his Mind. This person believes that she would be like this & that, & whenever he thinks about her or describes herself, everything stops for him. I just gone with the thought, & converted it into a poem, by not making it lengthy.....Hope You would like it.


लिखता हुँ उनको, तो शाम हो जाती है,
    पुकारता हूँ जब, तो जवाब नहीं मिलता।
ग़ुम हुँ मैं कहीं या डूब गया हुँ सोच में,
    छायी है बेचैनी सी,जाने क्यों आराम नहीं मिलता।
पर आहट क्यों महसूस होती है,
    और वक़्त क्यों है बदल जाता।
क्यों दिन अब लगे हैं छोटे,
    क्यों रात भर मैं सो नहीं पाता।
इतने क्यों मैं क्यों पाल रहा हुँ,
    गैरत और हैरत क्यों डाल रहा हुँ।
अनजान हुँ अभी भी उस चेहरे से,
    पर उसकी ओर बढ़ता जा रहा हुँ।
नाजाने कब मुलाकात होगी उस सपने से हक़ीकत में,
    जिसने डाल रखा है मुझे तो मुसिबत में।
खैर होना अब इस मुसिबत में शामिल भी मीठा लगता है,
    सपनो में जो आती है उससे यूँ मिलना ही अच्छा लगता है।

इसलिए शायद हर बार उनको;
    लिखता हूँ तो शाम हो जाती है,
    और पुकारता हुँ तो जवाब नहीं मिलता।

Thursday, November 7, 2013

Ahista Ahista.........

आहिस्ता आहिस्ता चलते रहे हम,
उस रात की ख़ामोशी में ढलते रहे हम.
हलकी हलकी हवायें जो बह रही थी,
हमें छूने का शुक्रिया उन्हें करते रहे हम.
आहिस्ता आहिस्ता चलते रहे हम,
उस रात की ख़ामोशी में ढलते रहे हम।


मुलाकात हुई थी जुगनुओं से मेरी,
छुप छुप के दिख कर, थे मुझे चिढ़ा रहे।
बात पते कि मुझे समझ में आयी,
कि जीवन में अँधेरा है ज्यादा रौशनी है कम।
अंधेरों से ना डर, बस बढ़ाये जा कदम,
फिर आहिस्ता आहिस्ता चलने लगे हम,
उस रात की ख़ामोशी में ढलते रहे हम।



तारों को हँसता देख चाँद भी मुस्कुराने लगा,
किसी तारे ने मज़ाक किया था शायद,सोच के ऐसा लगा।
यूँ लगा के अँधेरे में भी थमता नहीं सफ़र,
प्रयास करते रहना ही असली में है दम।
बस फिर से दोबारा बढ़ने लगे हम,
आहिस्ता आहिस्ता चलते रहे हम,
उस रात की ख़ामोशी में ढलते रहे हम।

 

लहरों कि छपा छप्प ने मेरी नींद उड़ा रखी थी,
और रात भी तेज़ी से, भागे जा रही थी।
वो अँधेरा भी मुझे कुछ अदभुत दिखा रहा था,
बड़े प्यार से मुझे अनुभव करा रहा था।
मन ने कहा मेरे-यह वक़्त है मेरी जान, यह गुज़र ही जाएगा,
चाहे जितना हो उजाला, यह अँधेरा हमेशा सिखाएगा।
बस हार न तू ग़म से, बस इतना ही रह नरम,
खुश रह के ख़ुश करना ही है तेरा धर्म।
इसलिए आहिस्ता आहिस्ता चलते रहे हम,
उस रात की ख़ामोशी में ढलते रहे हम

Saturday, February 9, 2013

Kuchh Wahi Pal They.........

I came to Mumbai, the City of Dreams, & saw that people even didn't have time to dream. But I was wrong, everybody do dream, some for future, Some on present, & some of their Past. One night, I was returning towards my room after having a small night walk & found a man(whom I know as he also do Gym where I do) & he was singing some old song which is about her late lover(Wife). We had a chat & he told me that he misses her very much. So I written this for those who misses their soul mates.......Hope I matched a quarter of their emotions.......

मदहोश से हुए हम, और गुम हुए क्यों,
याद जब जब तुझे किया, खुद से दूर हुए क्यों।
       है अजब सा नशा तेरा, जो हम कभी किया करते थे,
       कुछ वही पल थे, जिसे हम घंटों पिया करते थे।।


धडकनें मेरी अब कहती हैं मुझसे,
है वीराना क्यों हर दिन आजकल।
       ढूंड ला उन होंटों को, जिससे प्यास कभी बुझा करती थी,
       कुछ वही पल थे, जब धड़कन में सांस हुआ करती थी।।


हर शाम की चांदनी, क्यों गुमशुदा सी है,
तुम हो ज़िम्मेदार इसके, चाँद तो बेगुनाह ही है।
       कुछ बात थी उन सर्द शामों की, जो एक दूजे को हम ओढा करते थे,
       कुछ वही पल थे, जब हम चैन से सोया करते थे।।


हर सैर तेरे साथ, थे कहते कुछ नयी कहानी,
जज़्बातों की लौ से, ताप्ति थी नयी निशानी।
     ये ज़िन्दगी मेरी निशानी है तेरी,आजतक जो संजो कर रखा करते थे,
      कुछ वही पल थे, जब हम तेरे ख्वाबों को जिया करते थे।
      कुछ वही पल थे, जब हम ज़िन्दगी जिया करते थे।।

Sunday, October 21, 2012

Dilasa.....Ek Chhoti Si Aasha........

This one is very special for me, because these poems consists that feel of pain, which I felt when I got hurt by the Evil World. Then the +vity inside me told me, that, this is not the end, You are not made to be broken, Come-On, Stand again & move....
Then I also written these following lines-

For the moment, when I stood & people laughed, I felt ashamed,
           However, this time with Many, But, I Fell again.
Lost Hope & Control for moment,when I saw people Laughing
       But Can't tell those Safe-Suit people,that I LiVED Da PaIN.....
Enjoy this Poem.......

एक छोटी सी आंस,
                                      एक बड़ी सी प्यास,
कभी जैसे मीठी सी पप्पी,
                                      तो कभी जादू की झप्पी।
देदे ये मुसीबत को भी झांसा,
                                      कुछ ऐसी है इसकी परिभाषा,
               है ये दिलासा, एक छोटी सी आशा।

कड़ाके की ठण्ड पड़ी हो,
                                      और कोई ओढ़ाय कम्बल जैसे,
मानो के कोई ख़राब प्लेन हो,
                                      जो कर जाए लैंडिंग जैसे तैसे।
गुदगुदा कर हंसा जाए,
                                      टच है वैसा मस्ती भरा सा,
               है ये दिलासा, एक छोटी सी आशा।

कभी माँ के गोद सा है ये एहसास,
                                      तो कभी पिता के जोश दिलाने का है ये अंदाज़,
सचिन जैसे करे बाउंड्री पार,
                                      वैसी ही कुछ है इसकी धार।
स्वाद भी कुछ ऐसा,
                                      के मीठे को चखा हो ज़रा सा,
               है ये दिलासा, एक छोटी सी आशा।

कभी कार्टून सा हंसती,
                                      तो कभी लोरी सी सुलाती,
क़दमों को भी बढ़वाती,
                                      और जीत के पास ले जाती।
आँखों, कानों,होंठों, की नहीं,
                                      ये रुहानियत की है भाषा,
               है ये दिलासा, एक छोटी सी आशा।

झम्म झम्म सी बारिश में,
                                      जैसे कोई छत दिख जाए,
कभी घनघोर अंधेरे में जैसे,
                                      कोई मोमबत्ती की रौशनी दिखाये।
हर दिल के दर्द हलके कर दे,
                                      नजाने मलहम है ये किस तरह का,
               है ये दिलासा, एक छोटी सी आशा।

Monday, September 17, 2012

Badhe Chal Aye Mitra....

One day, A friend of mine sent me a msg, that-"I need an inspirational poem, that too, very urgently...Jo dil ko Chhuu jaye, Kal office mein bolna hai". I read this msg after 4 hrs, & then I logged in, to write a Poem which was just an instant work(approx 10 mins), like making a Maggie....hahaha :);)

बढ़े चल ए मितरा, बढे चल .......

चट्टान जैसी परेशानियों से,

डर की उन गहराईयों से,
                  दे मार छलांग पार कर,
                  इन जाल बुने बेईमानियों से।
बन के तूफ़ान तू बढ़ निकल,
बढ़े चल ए 
मितरा, बढ़े चल ........


देख ज़रा पानी की धार को,
ऐसा कुछ तू खुद को बना,
                  है फैली हुई हवा हर तरफ जैसे,
                  वैसे ही हर जगह तू भी समां।
पहुँच जा बुलंदियों के तू शिखर,

बढ़े चल ए मितरा, बढ़े चल ........

जैसे ओस रौशनी में चमकता,
भीतर से वैसे भी तू बन जा,
                  और बना कर उस रौशनी को ज्वाला,
                  घर का सूरज भी तू बन जा।
पर रह सावधान इस प्रदूषित वातावरण से,
जिसमें है अनैतिक इंसान समूह भी घुसा,
                  काट बुराई के काटों को जो पास आये,
                  बस उन सुगन्धित फूलों सा और महकता जा।
आये जो ये बातें समझ तो कर पहल,
लडखडाये 1-2 बार तो क्या,तू इस बार जा संभल,
                  बढ़े चल ए 
मितरा, बढ़े चल ........

                  बढ़े चल ए मितरा, बढ़े चल ........

Wednesday, August 15, 2012

Mere Desh se achcha aur koi Desh Kahan.....

ये जो मैं लिख रहा हूँ, वो उन सब भारतियों क लिए है जो अपने देश को शायद भूलते जा रहे हैं और या फिर इस देश में रहना उनकी मात्र मज़बूरी ही है। मैं ये नहीं कहता के आप सब इस देश से प्यार नहीं करते, क्योंकि जो नहीं करते वो ये पूरा पढ़ भी ना पाएंगे। जो गलत है उसे रोकने की कोशिश करें बस यही विनती आप से करता हूँ।

लेके भगत सिंह और चंद्रशेखर आज़ाद का नाम पहले
मैं अपना पहलु पेश करता हूँ,
हूँ मैं भारतवासी और इस हक से
ऐसे शहीद वीरों को करोड़ों नमन करता हूँ।

है आज आज़ादी का दिन,
             पर हिंदुस्तान तो आज भी कैदी है।
भुगत रहा है ये देश भ्रष्टाचार को,
             जिसे उसके लोगों ने खुद शय दी है।
मुसीबतों से जूझते रहने के बाद भी,
             सब कहते हैं 'मैं मस्त हूँ यहाँ'।
और कहते दिल इनके मज़बूरी में,
             मेरे भारत से अच्छा और कोई देश कहाँ।


लाख बुराई गिनते हैं सब,
             जब थक के शाम हो जाती है।
देख के मंत्रियों क घोटाले फिर,
             दिल से आह.... निकल जाती है।

कोई खुश है अपने परिवार में,
             तो कोई अकेला तन्हाईयों में ही खुश है वहां।

बस सोचते ये के सबसे प्यारे लोग हैं ये अपने मेरे,
             और मेरे देश से अच्छा और कोई देश कहाँ।


कोई करता झगडे जात-पात के नाम पे,
             तो किसी का मुद्दा छूत-अछूत होता है।
21वी सदी है आ चुकी अब,
             फिर भी आवाम यहाँ पुराने ज़माने में सोता है।
पेट भरने की बस चाहत है इन्हें,
             देश के पिछड़ने का नहीं है इनको गुमां।
गरीबी से मरे लोग चाहे पर, अमीर बोले,
             मेरे देश से अच्छा और ......... कहाँ।

पिछड़ों को आगे करने की नजाने कैसी मज़बूरी है,
             तभी दुसरे मुद्राओं से 'रुपय' की तबियत में बहुत कमजोरी है।
काबिल फिरे रोड में इस वजह से,
             और साकार करने के बजाये सरकार सिर्फ ये कहे 'बेरोज़गारी हटाना ज़रूरी है'।
कुर्सी के झगड़ों में सिमटा हुआ,
             शैतानों से है ये देश सना।
90% निकले पापी और फिर भी,
             मेरे देश से अच्छा ...............कहाँ।

2g घोटाले और कहीं मोबाइल नेटवर्क के पंगे,
             जगह जगह आये दिन दंगे, हैं ले जा रहे हमें किस ओर।
मुट्ठी भर खिलाडी हैं इस प्रतिभा के समुन्दर में,
             क्यूँ बढ़ावे (awareness) का नहीं है यहाँ दौर।
बेईमानी का चोगा ओढे,
             क्यूँ जी रहा है ये अपना जहाँ।
सरकारें हैं लूटती आखिर हद तक,आम आदमी हो जाता है कुर्बान,
             फिर भी कहते हैं मेरे देश से अच्छा............कहाँ।

आओ यारों चलो कुछ ठाने,
             फिर से बना दे इस देश को जवान।
थोडा खुद को फना कर इस देश पर,
             आओ हटायें ये बेहूदगी का कला धुवां।
हस के फिर सुबह होगी, और हस्ते ढलेगी शाम,
             सोच के देखो, कितना सुनेहरा होगा वो समां।
फिर कहेंगे गर्व से, है ये मेरा वतन, नाम इसका 'हिन्दुस्तान',
             और मेरे देश से अच्छा और कोई देश कहाँ........
                                                                    
और कोई देश कहाँ........।

A very Happy Independence Day to u all. May all Indians feel proud to be an Indian by helping our nation in growth in any field except Unemployment & Corruption.......

         Thank U All for reading.
            Neeraj Shrivastava.

Sunday, August 12, 2012

Wo Bachpan Fir Yaad Aayega......

Kb bheege the aakhiri baar baarish mein,
Lagta hai jaise bas kal parson ki baat hai.
Yaad karo pichhli baarish ko to chehra khil jayega,
Wo jo bachpan tha..... wo fir yaad aayega.

Ho jaate the geelay aur padti thi fir daant,
Behti si mastiyon ki fir hoti thi shuruwaat.
Kaale badal jaisa wo aankhon mein yaadien barsayega,
Yaad hai wo bachpan.......Haan wo fir yaad aayega.

Wo football, wo gully Cricket khelna,
wo gaadiyon k takkar se kichad ko jhelna.
Fir Mausam aya hai din aur shaam ek sa lagte jaayega,
Wo bachpan yaad hai kya...wo fir yaad aayega.

Jawani ki masti ko baandhe hain bachpan ki rassi se,
Pirontey rehna hai unhein in Yaadon ki masti se,
Har Saal mann in mahino mein khushiyaan mehkayega,
Agar Yaad hai wo bachpan to wo fir yaad aayega.

Mehsus karte hain har baar un galiyon mein khel ka shor,
Wo TV pe Malgudi wo Mogli aur kabhi wo Sherkhan ka roar.
Aaj fir wah sab jeene ko dil lalchayega,
Yaad hai na wo bachpan...... wo fir yaad aayega.

Wo baarish ki shaamon ko sair pe jaana,
Kabhi thandi hawa Saugaat mein to kabhi halki geelay mitti ki khusbu mil jaana.

Thak k ruke jo fir halwai k dukaan par to samosa,kachaudi dikh jaayega,
Fir chakhh kr garam jalebi mann 1 pe ruk na paayega.
Yaad karo ab Pichhli baarish ko to chehra khil jaayega,
Hai wo pyara bachpan yaad, Haanji..... Wo fir se yaad aayega...